19-Feb-2022 07:03 PM
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नयी दिल्ली, 19 फरवरी (AGENCY) केंद्रीय वाणिज्य सचिव बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने शनिवार को कहा कि भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ हुए व्यापक आर्थिक भागीदारी का समझौता (सेपा) से डेयरी, फल और सब्जियां, अनाज, चाय, कॉफी, चीनी, खाद्य तैयारी और तंबाकू जैसी कई वस्तुओं को बाहर रखा है ताकि स्थानीय उद्योग की रक्षा की जा सके।
श्री सुब्रह्मण्यम ने भारत-यूएई सेपा के बारे में संवाददाताओं से आनलाइन वार्ता में कहा कि प्लास्टिक, एल्यूमीनियम और तांबे के स्क्रैप, चिकित्सा उपकरण, टीवी चित्र, ऑटोमोबाइल और वाहनों के कल पुर्जों को इस समझौते के अंतर्गत ‘नकारात्मक सूची’ में रखा गया है। इसका अर्थ है कि भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सेपा) के कार्यान्वयन के समय भारत को इन वस्तुओं पर शुल्क हटाना या घटना नहीं पड़ेगा
इसके साथ ही भारत के लिए संवेदनशील कुछ क्षेत्रों की इकाइयों को इस समझौते के तहत नई शुल्क मुक्त व्यापार व्यवस्था के हिसाब से अपने को तैयार करने के लिए अधिक समय देने की व्यवस्था की गयी है।
श्री सुब्रह्मण्यम ने शुक्रवार हुए इस समझौते के बारे में संवाददाताओं से आनलाइन वार्ता में कहा कि यह नए भारत के दौर का मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) और इसमें उन क्षेत्रों की स्पष्ट झलक मिलती है, जिनमें भारत वैश्विक बाजार में ताकत के साथ बढ़ना चाहता है।
उन्होंने कहा कि यह समझौता लागू होने के साथ यह समझौता लागू होने के पहले दिन से ही भारत से यूएई को निर्यात किए जाने वाले मूल्य के हिसाब से 90 प्रतिशत उत्पादों पर वहां के बाजार में शून्य आयात शुल्क पर प्रवेश मिलेगा।
यह समझौता अप्रैल या मई तक लागू हो जाएगा।
उन्होंने कहा, “अगर आप इस समझौते को देखते हैं तो हमें लगा कि कुछ संवेदनशील क्षेत्र हैं अगर हम इसे व्यापक रूप से खोलते हैं तो कुछ नुकसान हो सकता है। इसलिए हमने उन क्षेत्रों को नकारात्मक सूची में रखा है। इस सूची में हमने डेयरी, फल और सब्जियां, अनाज, चाय, कॉफी, चीनी, भोजन की तैयारी, तंबाकू, पेट्रोलियम मोम, कोक, डाई, साबुन, प्राकृतिक रबर, टायर, जूते, संसाधित संगमरमर, खिलौने, प्लास्टिक, एल्यूमीनियम और तांबे के स्क्रैप को सूचीबद्ध किया। भारत ने चिकित्सा उपकरण, टीवी चित्र, ऑटोमोबाइल और वाहनों के कल पुर्जों को भी नकारात्मक सूची में रखा है।
उन्होंने कहा, “उन सभी क्षेत्रों में जहां विनिर्माण को बढ़ाया जा रहा है या हम पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना ला रहे हैं, हमने उन्हें इस समझौते के दायरे से बाहर रखा है।”
भारत-यूएई शिखर बैठक के दौरान किए गए इस समझौते के लिए बातचीत तीन माह में पूरी कर ली गयी। इससे अगले पांच वर्ष में द्विपक्षीय व्यापार वर्तमान 60 अरब डालर से बढ़ कर 100 अरब डालर तक पहुंचने की उम्मीद है।
वाणिज्य सचिव ने कहा कि इस समझौते में दोनों देशों के संवेदनशील क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है। इसमें वस्तुओं की एक वर्जित सूची का भी प्रावधान है जिसके तहत भारत डेयरी, फल सब्जी और ऐसे अन्य उत्पादों के बाजार में यूएई को कोई छूट नहीं देगा।
श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इस सीईपीए पर उच्च विश्वास, पारदर्शिता और संतुलन के साथ बातचीत की गई थी। , “हमने खुले दिल से एक-दूसरे की संवेदनशीलता का बहुत गहराई से सम्मान किया और शायद इसलिए हम तीन महीने में समझौते पर पहुंच गए।” उन्होंने कहा, ‘यह कोई अंतरिम समझौता नहीं बल्कि दस वर्ष के लिए का व्यापक और पक्का समझौता है। यह नए दौर का समझौता है जिसमें सरकारी खरीद, डिजिटल-कामर्श और बौद्धिक सम्पदा अधिकार जैसे पहुल जोड़े गए हैं जो पहले के किसी और एफटीए में नहीं थे।”
उन्होंने कहा, “इस समझौते के अनुसार भारत के नौ व्यापक क्षेत्रों की वस्तुओं को पहले दिन से संयुक्त अरब अमीरात के बाजार में शून्य शुल्क पर प्रवेश मिलेगा। इन वस्तुओं का वहां के लिए हो रहे निर्यात में मूल्य के हिसाब से 90 प्रतिशत हिस्सा है। भारत के निर्यात की दृष्टि से इन क्षेत्रों में कपड़ा, इंजीनियरिंग उत्पाद, रत्न और आभूषण, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरण, प्लास्टिक, ऑटोमोबाइल, चमड़ा और जूते, कृषि उत्पाद और अन्य श्रम प्रधान उत्पाद शामिल हैं।”
सोने के आयात के बारे में उन्होंने कहा “हम सोने के एक प्रमुख आयातक हैं। भारत हर साल 800 टन सोना आयात करता है और इसलिए इस समझौते में हमने उन्हें रियायती दर पर 200 टन तक सोने के निर्यात का कोटा दिया है। यूएई को भारत में सोने की बट्टी के निर्यात में अन्य देशों की तुलना में एक प्रतिशत कम शुल्क का लाभ प्राप्त होगा।”
इसके बदले भारतीय आभूषणों पर यूएई के बाजार में शून्य शुल्क पर प्रवेश मिलेगा जबकि पांच प्रतिशत शुल्क का सामना करना पड़ता है।
श्री सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इस समझौते से भारत का रत्न और आभूषण क्षेत्र बहुत खुश है। उन्होंने कहा , “मुझे लगता है यूएई के साथ यह सेपा ऐतिहासिक है। पहली बार है कि हमने एक सरकारी खरीद अध्याय, एक बौद्धिक संपदा अध्याय, डिजिटल व्यापार पर एक अध्याय पर हस्ताक्षर किए हैं। वे बहुत छोटे हो सकते हैं लेकिन इससे कुछ रास्ते तय हुए हैं। यह ऐसे कई क्षेत्रों में भारत के लिए भूमिका तलाशने की इच्छा की अभिव्यक्ति है।।”
उन्होंने विश्वास जताया कि 100 अरब डॉलर का लक्ष्य पांच साल के लक्ष्य से पहले हासिल कर लिया जाएगा।
इस सवाल पर कि क्या सीमा शुल्क में कमी के कारण भारत को राजस्व का नुकसान नहीं होगा, वाणिज्य सचिव ने कहा कि सीमा शुल्क अब राजस्व अर्जित करने के लिए नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था और कुछ संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा के लिए लगाया जाता है। उन्होंने कहा, “वे दिन गए जब सीमा शुल्क राजस्व उत्पन्न करने का एक स्रोत हुआ करता था। यदि आप दुनिया को देखें, तो कई उन्नत देशों में औसत शुल्क दो-तीन प्रतिशत की सीमा में है। इसलिए, राजस्व हानि को ध्यान में रखते हुए समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं किए जाते हैं।...////...