‘विरासत समारोह’ में होगा पहाड़ की सौ साल की संस्कृति का प्रदर्शन
22-Nov-2023 07:19 PM 1234688
नयी दिल्ली, 22 नवंबर (संवाददाता) उत्तरखंड के प्रवासियों की संस्था गढ़वाल हितैषिणी सभा शताब्दी वर्ष के मौके पर राष्ट्रीय राजधानी में विरासत समारोह’ का आयोजन कर रही है जिसमें पहाड़ की संस्कृति तथा रीति रिवाजों का प्रदर्शन होगा और विभिन्न क्षेत्रों में उत्तराखंड मूल की प्रमुख हस्तियों को सम्मानित किया जाएगा। संस्था के अध्यक्ष अजय सिंह बिष्ट, महासचिव मंगल सिंह नेगी तथा मीडिया प्रभारी अनिल पंत ने इस कार्यक्रम को लेकर बुधवार को यहां गढवाल भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि ‘विरासत समारोह’ का आयोजन गढवाल हितैषिणी सभा(पंजी) दिल्ली के स्थापना के एक सौ साल पूरे होने पर 25 नवंबर को तालकटोरा स्टेडियम में किया जाएगा और यह समारोह सुबह 11 बजे से शुरु होगा और रात आठ बजे तक चलेगा। उन्होंने कहा कि समारोह में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सुधांशु धूलिया, महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कौश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, राज्यसभा सांसद नरेश कौशल, टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय, उत्तराखंड के मशहूर गायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ ही अन्य कई गायक और कलाकार शामिल होंगे। हितैषिणी सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम करने वाले उत्तराखंड के लोगों को सम्मानित किया जाएगा। उत्तराखंड के निर्माताओं की सर्वेश्रेष्ठ फिल्म को 50 हजार रुपए की नकद राशि दी जाएगी। इसके साथ ही उत्तराखंड में विशिष्ठ काम करने वाले लोगों काे सम्मनित किया जाएगा। इस दौरान पहाड़ के परंपरागत भोजन के भी पंडाल लगे होंगे जहां लोग पहाड़ी व्यंजनों का भी आनंद उठा सकेंगे। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले उत्तराखंड मूल के नागरिकों को सम्मानित करने के साथ ही उत्तराखंड में महत्वपूर्ण काम करने वाली संस्थाओं को भी सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के दौरान सभा की एक सौ साल की यात्रा पर वृत्त चित्र का प्रदर्शन होगा तथा स्मारिका ‘विरासत’ का विमोचन भी किया जाएगा। कार्यक्रम में सभा के तीन पूर्व अध्यक्षों तथा अन्य पूर्व महासचिवों को विशेषरूप से सम्मानित किया जाएगा। इस बीच संस्था के पूर्व अध्यक्ष विक्रम सिंह अधिकारी ने उत्तराखंड के लोगों से बड़ी संख्या में शताब्दी समारोह में शामिल होने की अपील की और कहा कि यह प्रवासियों की एक सौ साल की दूरदृष्टता को देखने का बड़ा अवसर है। सभा के पूर्व महासचिव पवन कुमार मैठाणी ने भी पहाड़ के लोगों से आग्रह किया कि यह संस्था सबकी है और इसमें पहाड़ के लोगों को बढ चढकर हिस्सा लेना चाहिए। श्री बिष्ट ने बताया कि सभा की स्थापना 1923 में हुई थी और इसके पहले अध्यक्ष आनंद सिंह नेगी थे। बाद में 1940 में सभा का पंजीकरण हुआ और इसमें महत्वपूर्ण भूमिका गोविंदराम चंदोला की रही है। उनके नाम पर समारोह में पुरस्कार भी दिया जाएगा। गौरतलब है कि गढ़वाल हितैषिणी सभा का गठन 1923 में शिमला किया गया था। उस समय देश की राजधानी छह माह दिल्ली तथा छह माह शिमला से चलती थी और वहां रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडियों ने 1923 में ‘गढ़वाल सर्व हितैषिणी सभा’ का गठन किया था जो बाद में गढ़वाल हितैषिणी सभा के रूप में सामने आई। सभा से पहाड़ के लोग जुड़ते रहे और फिर 1940 में दिल्ली में सभा के लिए एक निश्चित स्थल की तलाश का काम शुरु हुआ ताकि लोग एक निश्चित स्थान पर आकर बैठें और उत्तराखंड के विकास को लेकर विचार विमर्श करें। गढवाल के डिप्टी कमिश्नर रहे पी मेसन आईसीएस ने सभा के सदस्यों की मांग के अनुसार 1941 में मंदिर मार्ग में गढवाल क्लब को आधा एकड़ जमीन दी जिसे बाद में 1945 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आग्रह पर यह जगह हरिजन बस्ती को आवंटित की गई। फिर 1953 में सभा को पूसा रोड पर जमीन दी गई लेकिन बाद में यह जमीन भी किसी विद्यालय भवन को आवंटित कर दी गई। अंतत: 1956 में पंचकुइंया रोड पर जमीन दी गई और 24 अक्टूबर 1958 को वहां गढ़वाल भवन निर्माण के लिए नक्शे को स्वीकृति मिली और 1967 तक गढ़वाल भवन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया। उन्होंने बताया कि सभा भूकंप, बाढ़, बादल फटने या भूस्खलन जैसी घटनाओं में होने वाली तबाही में राहत और बचाव में शामिल होकर पीड़ितों की सहायता करती है। शताब्दी वर्ष पर सभा की योजना उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों में लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने में सहयोग देने की है।...////...
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