सीतलवाड़ की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर
01-Nov-2023 05:09 PM 1234683
नयी दिल्ली, 01 नवंबर (संवाददाता) उच्चतम न्यायालय ने धन गबन मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को 2019 के गुजरात उच्च न्यायालय के अग्रिम जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए बुधवार को उसकी पुष्टि की। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अधिवक्ता अपर्णा भट की अपने मुवक्किल दंपति की अग्रिम जमानत की पुष्टि करने के अनुरोध और संबंधित पक्षों की दलीलें ने सुनने के बाद यह आदेश पारित किया। पीठ ने दंपति को मामले में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत धन गबन के आरोपों पर दर्ज मुकदमे के मामले में सीतलवाड़, उनके पति और गुजरात पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया। पीठ ने गुजरात पुलिस और सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू से जानना चाहा कि इस मामले में क्या बचा है। इस पर श्री राजू ने दावा किया कि आरोपी दंपति ने सहयोग नहीं किया था। उन्होंने कहा कि दंपति के लिए सुरक्षा जारी है, लेकिन ऐसा नहीं है कि ऐसी सुरक्षा का आनंद बिना किसी बंधन के लिया जाएगा। पीठ ने पूछा,“अब क्या हुआ है? इसका क्या उद्देश्य है कि यह अब हमारे सामने आया? मुख्य मामले में क्या हुआ है।” पीठ ने एक अलग मामले में कहा कि 2016 में एक आरोप पत्र दायर किया गया था और 2017 में जमानत नियमित कर दी गई थी। इसलिए मामले में कुछ भी नहीं बचा और याचिका का निपटारा किया जाता है। पीठ ने एक अन्य मामले का निपटारा करते हुए कहा कि कुछ नियमों और शर्तों पर जमानत देने को चुनौती देने वाली विशेष अनुमति याचिकाएं दायर की गई थीं। इस तरह काफी समय बीत चुका है। पीठ ने कहा, “हमारे पूछने पर हमें बताया गया कि आरोपपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है। एएसजी का मानना ​​है कि प्रतिवादी की ओर से सहयोग की कमी है और इसीलिए आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है। जो भी हो, इस स्तर पर हम बस इतना ही कहना चाहेंगे कि प्रतिवादी (सीतलवाड और उनके पति) जब भी जरूरत होगी जांच में सहयोग करेंगे।” प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि सीतलवाड़ और जावेद आनंद द्वारा संचालित एनजीओ सबरंग ट्रस्ट को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 1.4 करोड़ रुपये का फंड मिला था। आगे दावा किया गया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राप्त इस अनुदान को कार्यकर्ताओं के व्यक्तिगत बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया गया था और इसका उपयोग व्यक्तिगत और राजनीतिक उद्देश्यों के साथ-साथ 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में गवाहों को भुगतान करने के लिए किया था, जिसने झूठी गवाही थी‌। यह मुकदमा सीतलवाड़ के पूर्व करीबी सहयोगी रईस खान पठान की शिकायत पर दर्ज हुआ था।...////...
© 2025 - All Rights Reserved - timespage | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^