26-Sep-2023 05:16 PM
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नयी दिल्ली, 26 सितम्बर (संवाददाता) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र की जटिल चुनौतियों से मिलकर निपटने का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि इससे समृद्ध , सुरक्षित और समावेशी भविष्य को सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। श्री सिंह आज यहां हिन्द प्रशांत क्षेत्र के देशों के सेना प्रमुखों के 13वें द्विवार्षिक सम्मेलन में उद्घाटन भाषण दे रहे थे। तीन दिन के इस सम्मेलन का आयोजन भारतीय सेना और अमेरिकी सेना ने मिलकर किया है। इस मौके पर प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी , नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार तथा अमेरिकी सेना के प्रमुख सहित 20 देशों की सेनाओं के प्रमुख और 35 देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि हिन्द प्रशांत केवल एक समुद्री क्षेत्र नहीं बल्कि एक पूर्ण भू-रणनीतिक क्षेत्र है जो सीमा विवादों और समुद्री डकैती सहित सुरक्षा चुनौतियों के एक जटिल तंत्र का सामना कर रहा है। इस तंत्र में वैश्विक घटनाएं , आर्थिक परिस्थिति , लोगों के विचार, मौसम और जीवन के तमाम पहलू शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सभी देशों को यह समझना चाहिए कि वैश्विक मुद्दे सभी को प्रभावित करते हैं और कोई भी देश इन चुनौतियों का समाधान अकेले नहीं कर सकता। इसके लिए उन्होंने व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के परस्पर मिलने और चिंताओं से निपटने के लिए कूटनीति, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संधियों के माध्यम से सहयोगात्मक रूप से काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र समझौते 1982 को आधार मानकर इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है। रक्षा मंत्री ने भारत का रूख दोहराते हुए कहा कि वह साझा सुरक्षा और समृद्धि के लिए स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम-आधारित हिन्द प्रशांत क्षेत्र का पक्षधर है। उन्होंने ‘पड़ोसी प्रथम’ के भारत के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा,“ हिन्द प्रशांत से हमारा संबंध पांच ‘एस’ सम्मान , संवाद , सहयोग , शांति और समृद्धि पर आधारित है।” उन्होंने कहा कि मित्र देशों के साथ मजबूत सैन्य साझेदारी के भारत के प्रयास न केवल राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं, बल्कि सभी के सामने आने वाली वैश्विक चुनौतियों का भी समाधान करते हैं। सबसे गंभीर वैश्विक चुनौतियों में से एक जलवायु परिवर्तन पर भारतीय सशस्त्र बल समर्पण और जिम्मेदारी की भावना के साथ आपदा स्थितियों में सबसे पहले योगदान करते हैं।...////...