कमजोरी में शांति की बात नहीं हो सकती: धनखड़
15-Nov-2023 05:25 PM 1234674
नयी दिल्ली 15 नवंबर (संवाददाता) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कमजोरी की स्थिति से शांति की बातचीत नहीं हो सकती इसलिए इसके लिए सभी आधारों पर मजबूत होना चाहिए। श्री धनखड़ ने यहां “हिन्द-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2023” में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत खुले और अप्रतिबंधित प्रवाह के साथ एक स्वतंत्र और शांतिपूर्ण नियम-आधारित हिन्द - प्रशांत क्षेत्र चाहता है। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक गतिविधियां और आवागमन अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों के अनुसार होना चाहिए। नौवहन और हवाई मार्ग के लिए स्वतंत्रता का आह्वान करते हुए श्री धनखड़ ने कहा, “हम एक न्यायसंगत वैश्विक नियामक व्यवस्था चाहते हैं जो समुद्री संसाधनों और समुद्र तल के स्थायी और न्यायसंगत दोहन पर अधिकार का सम्मान करता हो।” श्री धनखड़ ने कहा कि समुद्र में अपार अप्रयुक्त संपत्ति वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए नयी सीमा तय है।उन्होंने कहा कि समुद्र और इसकी संपत्तियों के दावों की संभावना को रोकने के लिए एक नियामक व्यवस्था और इसके प्रभावी प्रवर्तन की आवश्यकता है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि भारत एक अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। भारत को वैश्विक स्तर पर शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा, “आप शांति स्थापित नहीं कर सकते, आप शांति के लिए बातचीत नहीं कर सकते, आप कमजोरी की स्थिति से शांति की आकांक्षा नहीं कर सकते। आपको मजबूत होना होगा और आपको सभी बुनियादी तथ्यों पर मजबूत होना होगा। वर्तमान परिदृश्य में भारत इसके लिए बिल्कुल उपयुक्त है।” उन्होंने कहा कि दुनिया इस समय दो गंभीर संकटों का सामना कर रही है और सुरंग के अंत में कोई रोशनी दिखाई नहीं दे रही है। इसका समाधान सभी राष्ट्रों को एक साथ आना होगा। श्री धनखड़ ने कहा कि सहयोगात्मक सुरक्षा और नवीन साझेदारी ही आगे बढ़ने का रास्ता है। उन्होंने कहा,“यही एकमात्र रास्ता है। कोई भी देश अकेला नहीं खड़ा हो सकता, एकजुट होकर कार्रवाई करनी होगी। उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह दुख और पीड़ा का विषय है कि भारत में मानवता का छठा हिस्सा है, लेकिन उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में उचित प्रतिनिधित्व नहीं है जो निश्चित रूप से इस वैश्विक निकाय के प्रभाव को कम करता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब उस पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। एआई, रोबोटिक्स, ड्रोन और हाइपरसोनिक हथियारों जैसी प्रौद्योगिकियों का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि इनका कौशल और महारत भविष्य की रणनीतिक विशेषताओं और कमजोरियों का निर्धारण करेगी। इस संबंध में, उन्होंने भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र से आगे आने, नागरिक और सैन्य बलों के साथ जुड़ने और ऐसी प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्र के रूप में भारत को शांति के निरंतर समर्थक के रूप में पहचाना जा सकता है, जो कभी विस्तार में शामिल नहीं रहा। उन्होंने कहा कि हमारे पड़ोस की शांति और स्थिरता भारत की वृद्धि और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है।...////...
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