धातु क्षेत्र चक्रीय अर्थव्यवस्था के मॉडल में सबसे आगे रहे: सिंधिया
26-Aug-2022 06:58 PM 1234733
नयी दिल्ली, 26 अगस्त (संवाददाता) केन्‍द्रीय इस्पात और नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने शुक्रवार को कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की सीमा को देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि दुनिया इन दुर्लभ संसाधनों का उपयोग करने के लिए पर्यावरण और आर्थिक रूप से व्यवहार्य तरीके ढूंढे। श्री सिंधिया धातुओं की प्रकृति और उसके व्यापक इस्‍तेमाल के मद्देनजर धातु उद्योग को सर्कुलर इकोनॉमी (पुनर्चक्रण पर आधारित अर्थव्यवस्था के) के मॉडल में सबसे आगे रहने का आह्वान किया। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स की दिल्ली शाखा द्वारा आज आयोजित सर्कुलर इकोनॉमी और संसाधन दक्षता पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘हर आर: रिड्यूस, रिसाइकल, रीयूज, रिकवर, रिडिजाइल और रीमैन्‍यूफैक्‍चर, छह आर (किफायत, पुनर्चक्रमण, पुनर्प्रयोग, पुन:प्राप्ति और पुनर्विनिर्माण) के सिद्धांत का पालन करते हुए धातु क्षेत्र को धातुओं की प्रकृति के अलावा उसके व्यापक इस्‍तेमाल के मद्देनजर सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल में सबसे आगे रहने की जरूरत है।” सम्मेलन में सेल की अध्यक्ष सोमा मंडल, एसएमएस समूह के भारत और एशिया प्रशांत क्षेत्र के सीईओ उलरिच ग्रीनर पच्टर, एमआईडीएचएएनआई के सीएमडी डॉ. एस.के. झा, आईआईएम, दिल्‍ली चैप्‍टर के अध्‍यक्ष डॉ. मुकेश कुमार तथा खनिज और धातु क्षेत्र के प्रतिनिधि मौजूद थे। श्री सिंधिया ने कहा कि दुनिया भर में आम सहमति बन गई है कि सर्कुलर इकोनॉमी संसाधनों के संरक्षण का एकमात्र तरीका है। हमें यह समझना चाहिए कि टेक-मेक-डिस्पोज यानी संसाधनों को लो, सामान बनाओं और इस्तेमाल कर के फेंकों वाले मॉडल वाली एक दिशा में चलने वाली अर्थव्यस्था मानवता का भविष्य नहीं हो सकती है। इस्पात मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले वर्ष 15 अगस्त के अपने संबोधन में सर्कुलर इकोनॉमी मिशन की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया था। श्री सिंधिया ने कहा कि धातु उद्योग ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग करने वाला उद्योग है और इस प्रकार बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन का कारण बनता है, जो वैश्विक समुदाय के लिए एक बड़ी चुनौती है, इसलिए हमें शून्य कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नई तकनीकों को अपनाना होगा। उन्होंने कहा , “ हम सभी इस बात से सहमत हैं कि आज दुनिया में टेक्‍नोलॉजी का वर्चस्‍व है, कुछ भी बेकार नहीं है और सभी तथाकथित कचरे को उपयुक्त प्रौद्योगिकी को अपनाकर धन सृजन के लिए संसाधनों में बदला जा सकता है।...////...
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