23-Aug-2023 02:33 PM
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गांधीनगर, 23 अगस्त (संवाददाता) भारत के कुल इसबगोल उत्पादन का 90 फीसदी प्रसंस्करण गुजरात में किया जाता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य के सिद्धपुर और ऊंझा में इसकी प्रसंस्करण इकाइयां हैं। ऊंझा और उसके आसपास के क्षेत्रों में इसबगोल प्रसंस्करण की लगभग 25 इकाइयां विकसित की गई हैं। इसबगोल सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली औषधीय फसल है। भारत के कुल इसबगोल के उत्पादन का 93 फीसदी हिस्सा पूरी दुनिया में निर्यात किया जाता है। अमेरिका भारतीय इसबगोल का सबसे बड़ा आयातक देश है। उसके बाद भारत से सबसे अधिक इसबगोल खरीदने वाले देशों में जर्मनी, इटली, ब्रिटेन और कोरिया है। इसके अलावा अन्य देशों में भी भारत से इसबगोल का निर्यात किया जाता है। स्थानीय भाषा में ‘घोड़ा जीरा’ के रूप में जाना जाने वाला इसबगोल भारत में खेती के अंतर्गत सभी औषधीय फसलों में सर्वाधिक क्षेत्रफल में उगाई जाने वाली अति महत्वपूर्ण फसल है। पूरी दुनिया में भारत इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसबगोल फसल के प्रसंस्करण में गुजरात देश भर में अव्वल स्थान पर है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में गुजरात कृषि क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। उनके मार्गदर्शन में राज्य सरकार की बागवानी और औषधीय फसलों की प्रोत्साहक नीतियों के परिणामस्वरूप गुजरात में बागवानी और औषधीय फसलों की बुवाई और उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा गुजरात सरकार की प्रोत्साहक उद्योग नीति तथा एग्रो इंडस्ट्रीज की नीतियों के कारण कृषि उत्पादनों के प्रसंस्करण और उनके निर्यात में भी वृद्धि हो रही है। इसबगोल के उत्पादन में गुजरात देश के अग्रणी राज्यों में शुमार है। वर्ष 2018-19 में राज्य में इसबगोल का बुवाई का रकबा 6754 हेक्टेयर और कुल उत्पादन 6817 टन था। इसकी तुलना में वर्ष 2022-23 में कुल बुवाई का रकबा 13,303 हेक्टेयर और कुल उत्पादन 12,952 टन दर्ज किया गया है। इस तरह पिछले पांच वर्षों में गुजरात में इसबगोल का बुवाई का रकबा और उसका उत्पादन लगभग दुगुना हो गया है। गुजरात में बनासकांठा जिले में इसबगोल का सर्वाधिक अर्थात 47 फीसदी उत्पादन होता है। उसके बाद कच्छ में 34 फीसदी, मेहसाणा में 10 फीसदी और जूनागढ़ में पांच फीसदी इसबगोल का उत्पादन होता है। इस तरह गुजरात में इसबगोल के कुल उत्पादन का 96 फीसदी हिस्सा इन चार जिलों में पैदा होता है। एशिया के सबसे बड़े एपीएमसी में इसबगोल की आवक में वृद्धि ऊंझा की कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) में पिछले पांच वर्षों में इसबगोल की आवक में भी वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018-19 में ऊंझा के एपीएमसी में 65,413 टन इसबगोल की आवक हुई थी, जो वर्ष 2022- 23 में बढ़कर 87,050 टन हो गई है। ऊंझा का गंज बाजार एशिया का सबसे बड़ा गंज बाजार है जो इसबगोल, जीरा और सौंफ की फसल के लिए प्रसिद्ध है। गुजरात के कृषि विश्वविद्यालयों ने गुजरात इसबगोल-1, गुजरात इसबगोल- 2, गुजरात इसबगोल-3 और गुजरात इसबगोल-4 सहित इसबगोल की कुल चार उन्नत किस्में जारी की हैं। इन किस्मों का प्रति हेक्टेयर क्रमशः 800 से 900 किग्रा और 1000 किग्रा. उत्पादन लिया जा सकता है। आयुर्वेदिक, यूनानी और एलोपैथी चिकित्सा में उपयोगी इसबगोल के बीज की तासीर शीतल होती है। इसके बीज और भूसी का उपयोग पाचन तंत्र एवं मूत्र-जननांग तंत्र के श्लेष्म झिल्ली की सूजन को कम करने में तथा आंतों के अल्सर, मस्से और गोनोरिया (सूजाक) जैसे यौन संचारित रोगों का उपचार करने के अलावा कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए किया जा सकता है। औषधीय उपयोगों के अतिरिक्त इसका उपयोग रंगाई, कपड़ा छपाई, आइसक्रीम उद्योग, मिठाई और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में भी किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इसबगोल के भूसी मुक्त बीज में 17 से 19 फीसदी प्रोटीन होता है, इसलिए इसका उपयोग पशु आहार में किया जाता है। अमेरिका भारत से इसबगोल का सबसे बड़ा खरीदार देश है । अमेरिका भारत से होने वाले कुल निर्यात में लगभग 75 फीसदीकी हिस्सेदारी रखता है। वर्ष 2022- 23 में भारत ने अमेरिका को 19,666 टन इसबगोल का निर्यात किया था जिसका मूल्य 1023.29 करोड़ रुपए है। वर्ष 2023-24 के लिए भी अप्रैल से जून तक की पहली तिमाही के दौरान अमेरिका को 343.20 करोड़ रुपए मूल्य के 4931.70 टन इसबगोल का निर्यात किया गया है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि वर्तमान में भारतीय औषधीय फसल इसबगोल की अमेरिका में जबरदस्त मांग है। मार्केट रिसर्च कंपनी मिन्टेल के डेटा के अनुसार, इसबगोल के विभिन्न उत्पादों की अभी अमेरिका में जोरदार मांग है। वर्ष 2018 से वर्ष 2022 तक अमेरिका में इसबगोल के 249 नए उत्पाद बाजार में पेश किए गए थे। विभिन्न श्रेणियों में बिक्री के आंकड़े मिलना मुश्किल है, लेकिन मास-मार्केट प्रोडक्ट मेटामुसिल के प्रवक्ता ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इसबगोल के उत्पादों की बिक्री दो अंकों की दर से बढ़ी है। इसबगोल के बहुत से नये उत्पादों का उपयोग अब अमेरिकी रसोई घरों में भी होने लगा है। कम कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने वाले लोग इसका बाइंडिंग के रूप में उपयोग करते हैं। रसोई के दौरान पतले सॉस को थोड़ा गाढ़ा बनाने के लिए इसबगोल का उपयोग होता है। वहीं, ग्लूटेन-फ्री बेकर्स ब्रेड और केक के बेकिंग में भी इसका उपयोग किया जाता है। अमेरिका में पाचन को आसान बनाने और भूख को नियंत्रित रखने के लिए भी इसबगोल का उपयोग किया जाता है।...////...