11-Jun-2022 08:23 PM
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नयी दिल्ली, 11 जून (AGENCY) विश्व व्यापार संगठन (आडब्ल्यूटीओ ) का बारहवां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन लगभग पांच वर्षों के अंतराल के बाद स्विट्जरलैंड के जिनेवा में 12 जून से शुरू होने जा रहा है जिसमें वाणिज्य एवं उद्योगमंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारतीय वार्ताकारों किसी भी समझौते में खुली बाजार व्यवस्था में छोटे किसानों, मछुआरों के हितों की सुरक्षा के साथ-साथ ई-वाणिज्य जैसे नए विषयों पर वार्ता में भारत के दुकानदारों को बेमेल प्रतिस्पर्धा से बचाने की प्रमुख चुनौती होगी।
वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने अनौपचारिक बातचीत में कहा कि अंतराष्ट्रीय मंचों पर भारत अपनी भूमिका के महत्व को समझता है, डब्ल्यूटीओ में तमाम विकासशील और विकसित देशों की निगाह भारत पर होती है। भारत अपने रक्षात्मक और आक्रामक- दोनों प्रकार के हितों को ध्यान में रख कर इस वार्ता में भाग लेने जा रहा है।
इस बार के सम्मेलन में चर्चा और वार्ता के प्रमुख क्षेत्रों में कोविड-19 जैसी महामारियों की वैक्सीन और उसमें प्रयुक्त सामान एवं प्रौद्योगिकी पर डब्ल्यूटीओ के बौद्धिक सम्पदा अधिकार (ट्रिप्स) के नियमों में ढील, इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसमिशन पर सीमाशुल्क के मुद्दे भारत की दृष्टि से प्रमुख विषय लगते हैं।
डब्ल्यूटीओ जैसे बहुपक्षीय मंचों पर परंपरागत रूप से भारत की भूमिका विकासशील और गरीब देशों के हितों को स्वर देने वाले देश की रही है।
कृषि व्यापार से जुड़े मुद्दों में इस बार यूरोप में भू राजनीतिक तनाव के चलते खाद्य निर्यात पर रोक के लिए बाध्यकारी नियम बनाने के प्रस्ताव का भारत विरोध कर रहा है। भारत ने हाल में गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने का निर्णय लिया था। उस पर पश्चिमी देशों की और से तीक्षण प्रतिक्रिया आयी थी।
मई 2022 में, डब्ल्यूटीओ महानिदेशक ने कृषि, व्यापार और खाद्य सुरक्षा तथा खाद्य निर्यात पर रोक- इन तीन मद्दों पर समझौत प्रस्ताव के अलग अलग मसौदे प्रस्तुत किए थे। निर्यात पर रोक के इस प्रस्ताव में केवल संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डबल्यूएफपी) को किसी रोक के मुक्त रखने के प्रस्ताव पर भारत ने आपत्ति ही है।
नयी दिल्ली में अधिकारियों ने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ही नहीं भारत जैसे देशों के अपने पड़ोसियों को अनाज देने की पूरी छूट हो ओर इसके लिए सरकारी खाद्य स्टॉक के उपयोग की छूट हो। नियमों के प्रावधानों, वर्तमान नियमों के तहत संगठन के सदस्य देश के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थों या अन्य उत्पादों की महत्वपूर्ण कमी को रोकने या राहत देने के लिए अस्थायी रूप से निर्यात प्रतिबंध या प्रतिबंध लगा सकते हैं। कमी, मूल्य वृद्धि और नीतियों की प्रभावशीलता पर ऐसे उपायों की अग्रिम सूचना प्रदान करने के प्रभावों के संबंध में संवेदनशीलता को देखते हुए विकासशील देशों के सदस्यों के लिए अधिसूचना आवश्यकताओं को बोझिल बनाने के साथ भारत की चिंता है।
डब्ल्यूटीओ में एक महत्वपूर्ण मुद्दा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भारत के खाद्यान्न खरीद कार्यक्रम के संरक्षण से संबंधित है। भारत और तमाम विकासशील देश मानते हैं कि जनता की खाद्य सुरक्षा के लिए उनके यहां सरकारी स्टॉक बनाना जरूरी है और इस पर डब्ल्यूटीओ में तब तक कोई कोई शिकायत न सुनी जाए जब तक कि इस मुद्दे का स्थायी समाधान नहीं हो जाता।
अधिकारियों ने बताया कि डब्ल्यूटीओ के नियमों के तहत अनाज पर सब्सिडी सीमित है और कोई देश किसी फसल पर मूल्य के दस प्रतिशत से अधिक सब्सिडी नहीं दे सकता। भारत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत जरूरतमंद आबादी के लिए सस्ते अनाज की उपलब्धता सुनिश्चित करना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है। भारत का कहना है कि सब्सिडी तय करने के लिए 1985-86 की कीमत को आधार बनाया गया जो व्यावहारिक नहीं रह गया है। इस आधार को अद्यतन करने की जरूरत है।
इस मुद्दे पर डब्ल्यूटीओ में जी-33, विकासशील देशों के गठबंधन, जिनमें से भारत एक प्रमुख सदस्य है, और अफ्रीकी समूह द्वारा बातचीत की जा रही है, जो इस मुद्दे के स्थायी समाधान पर एक प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए एसीपी समूह के साथ आए हैं।
अधिकारियों के अनुसार सरकारी अनाज भंडार के मुद्दे पर स्थायी समाधान के लिए भारत ने 15 सितंबर 2021 को जिनेवा में जी-33 समूह के प्रस्ताव को सह-प्रायोजित किया, जिसमें 38 सदस्य शामिल हैं।
डब्ल्यूटीओ वार्ताओं में विकासशील देशों द्वारा दिसंबर 2013 में बाली में हुए नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की घोषणाओं में सुधार की मांग की जा रही है, जहां सदस्य 11 वीं बैठक तक खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक अनाज भंडार के मुद्दे पर एक स्थायी समाधान पर बातचीत करने के लिए सहमत हुए थे।
बाली में तथा कथित शांति-उपबंध के तहत एक सहमति हुई कि 07 दिसंबर 2013 से पहले स्थापित खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए अनाज के सार्वजनिक भंडार कार्यक्रमों में सब्सिडी की सीमा भंग होने के संबंध में विवाद उठाने में सदस्यों द्वारा उचित संयम बरता जाए।
नवंबर 2014 में डब्ल्यूटीओ जनरल काउंसिल (जीसी) ने इस उपबंध की सीमा स्थायी समाधान निकलने तक के लिए बढ़ा दी थी । दिसंबर 2015 में आयोजित नैरोबी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में, विश्व व्यापार संगठन के सदस्य स्थायी समाधान के लिए बातचीत करने के लिए रचनात्मक रूप से संलग्न होने पर सहमत हुए। भारत सरकारी स्टॉक के मुद्दे को कृषि संबंधी किसी अन्य कृषि मुद्दे वर्क प्रोग्राम कार्य कार्यक्रम से नहीं जोड़ना चाहता । वह इस मसले पर स्थायी समाधान को एक अलग मुद्दा मानता है।
मछली व्यापार पर समझौते में भारत पर मछुआरों के लिए डीजल सब्सिडी समाप्त करने का दबाव है। भारत का कहना है कि भारतीय मछुआरों की तुलना इस क्षेत्र में विकसित देशों की उन कंपनियों के साथ बराबरी नहीं की जा सकती जो बड़े बोड़े आधुनिक पोत लेकर गहरे समुद्र में मछली पकड़ती है और उनके पास पोत पर ही उसे प्रसंस्कृत करने की क्षमता है।
महामारी पर डब्ल्यूटीओ की कार्रवाई पर चर्चा में वैक्सीन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का मुद्दा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। भारत और दक्षिण अफ्रीका कोविड-19 की लहर के दौरान ही वैक्सीन और उससे जुड़ी सामग्री के व्यापार पर ट्रिप्स की पाबंदी में ढील का मुद्दा रख चुके हैं।...////...