25-Oct-2022 09:10 PM
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अयोध्या, 25 अक्टूबर (संवाददाता) उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से मंगलवार को बताया गया कि मंदिर निर्माण का 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है और दिसंबर 2023 तक मंदिर का गर्भगृह व प्रथम तल बनकर तैयार हो जाएगा। वहीं, जनवरी 2024 तक हर हाल में रामलला भी गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे।
मंदिर का निर्माण कार्य करा रहे श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। इस दौरान उन्होंने परिसर में चल रहे निर्माण कार्य को भी दिखाया। गौरतलब है कि अयोध्या में 05 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य राम मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी थी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मंदिर निर्माण की प्रक्रिया को लेकर काफी सजग हैं। वह प्रतिमाह निर्माण कार्य की प्रगति की रिपोर्ट ले रहे हैं। साथ ही, वह जब भी अयोध्या में होते हैं तो रामलला के दर्शनों के साथ ही निर्माण कार्यों की प्रगति का निरीक्षण भी करते हैं।
राय ने बताया कि मुख्य मंदिर 350 गुणा 250 वर्गफीट का होगा। दिसंबर 2023 तक इसके भूतल का काम पूरा हो जायेगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के निर्देशानुसार मंदिर की सुरक्षा पर खास ध्यान देना होगा। साथ ही देखना होगा कि मंदिर निर्माण के बाद जब पर्यटक यहां आएंगे तो 5 किमी. तक की आबादी पर इसका कितना दबाव पड़ेगा। पीएम के निर्देश पर राज्य सरकार के साथ इस बिंदु पर मंत्रणा के बाद इसकी रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने बताया कि 2024 तक सार्वजनिक तौर पर मंदिर में रामलला के दर्शन की उम्मीद की जा सकती है। अभी अष्टकोणीय गर्भगृह में काम जारी है। यहां 500 विशाल पत्थर बिछाए जा चुके हैं।
राय ने बताया कि मंदिर के पहले तल का काम लगभग 50 फीसदी पूरा हो चुका है। मंदिर के पहले तल में कुल 160 पिलर होंगे, जबकि मंदिर के दूसरे तल में करीब 82 पिलर होंगे। राम मंदिर में कुल 12 दरवाजे होंगे। ये दरवाजे सागौन की लकड़ी के बनेंगे। दिसंबर 2023 तक इसका काम पूरा होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि 2024 की मकर संक्रांति पर मंदिर में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा किये जाने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि मंदिर में लगाये जा रहे नक्काशी वाले पत्थर राजस्थान स्थित सिरोही जिले के पिंडवाड़ा कस्बे से आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिन पत्थरों पर नक्काशी हुई है, वही पत्थर यहां लाए जा रहे हैं। वहीं, कार्यशाला से भी पत्थर लाए जा रहे हैं। मंदिर के आंदोलन के वक्त से ही कार्यशाला में भरतपुर से पत्थर आते थे। सोमपुरा में लंबे समय तक पत्थरों पर नक्कासी हुई है। इसके अलावा कार्यशाला से भी सारे पत्थर आ चुके हैं।...////...