12-Jul-2023 05:32 PM
1234712
नयी दिल्ली, 12 जुलाई (संवाददाता) दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आईआईएम अहमदाबाद से सात दिवसीय प्रशिक्षण लेकर लौटे दिल्ली नगर निगम स्कूलों के 50 प्रिंसिपलों से बुधवार को संवाद किया। श्री केजरीवाल ने प्रिंसिपलों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों की तरह ही वह निगम के स्कूलों को भी शानदार बनाएंगे। अब इस अभियान की शुरूआत हो चुकी है। शिक्षा पहली प्राथमिकता है इसलिए निगम स्कूलों के प्रिंसिपल को भी प्रशिक्षण के लिए भेजा। आईआईएम से लौटे प्रिंसिपलों के चेहरे पर जो जोश है, वही हमारी सबसे बड़ी जीत है। अभी तक सभी स्कूल अलग-अलग काम कर रहे थे, लेकिन अब एक परिवार बन जाएंगे और सभी एक मिशन के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि निगम के सिस्टम के अंदर चारों तरफ अभी निराशा थी। उसे आशा में बदलना है। आज एक सबसे बड़ा बदलाव यह देखने को मिल रहा है कि सभी के चेहरे पर खुशी और जोश से भरे हुए हैं। यह एक बड़ी शुरूआत है। आप जो सीख कर आए हैं वह बहुत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अभी तो हम प्रिंसिपल और टीचर को ट्रेनिंग के लिए विदेश भी भेजेंगे। दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल को हम लंदन, सिंगापुर, फिनलैंड भेजते हैं। फिनलैंड का शिक्षा प्रणाली दुनिया भर में सबसे अच्छा माना जाता है। हम चाहते हैं कि हमारे प्रिंसिपल-टीचर्स दुनिया का सबसे अच्छा एजुकेशन सिस्टम देख कर आएं। क्योंकि हमें दिल्ली के एजुकेशन सिस्टम को भी दुनिया का सबसे बेहतरीन सिस्टम बनाना है। उन्होंने कहा कि निगम के स्कूलों की हालत बहुत खराब है। इंफ्रास्ट्रक्चर काफी खराब है। ऐसी परिस्थितियों में काम करना आसान नहीं है। सबसे बड़ी बात ये है कि अभी तक किसी ने स्कूलों की तरफ देखा ही नहीं। किसी भी सरकार में शिक्षा को महत्व नहीं दिया गया। आज तक कभी किसी ने ये नहीं कहा कि शिक्षा उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में से एक है। निगम के प्रिंसिपल को आइआइएम भेजने के पीछे हमारा एक मकसद ये भी जताना है कि शिक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि हमारे पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। हमारे स्कूलों के सभी प्रिंसिपल-टीचर्स बहुत कठिन परीक्षाओं को पास करके आते हैं। हमारे स्कूलों के टीचर और प्रिंसिपलों के इतने पढ़े-लिखे होने के बावजूद माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में क्यों पढ़ना चाहते हैं? इसके पीछे सिर्फ़ प्रेरणा की कमी लगती है। प्रिंसिपल-टीचर को दोष देना बहुत आसान है लेकिन अगर सरकार अपने सिस्टम को ठीक नहीं करती है, स्कूलों में सुधार नहीं करती है तो प्रिंसिपल -टीचर को दोषी ठहराने से कोई फ़ायदा नहीं है। उम्मीद है कि आईआईएम से लौटे प्रिंसिपल अब निगम के स्कूलों में शिक्षा क्रांति के ध्वजवाहक बनेंगे।...////...